चित्र -साभार गूगल |
कोई आज़ाद बतलाओ कि जो आज़ाद जैसा है
तुम्हारा जन्म भारत भूमि पर अपवाद जैसा है
कोई आज़ाद बतलाओ कि जो आज़ाद जैसा है
शहीदों की कहानी हाशिए पर कौन लिखता था
मेरे मानस पटल पर चित्र यह अवसाद जैसा है
वो ऐसा भक्त था ईश्वर भी उसके दास बन बैठे
अदिति के कुल में भी कोई कहाँ प्रह्लाद जैसा है
नमन चैतन्य ,मीरा ,सूर और हरिदास स्वामी को
हमारे दौर में कोई कहाँ प्रभुपाद जैसा है
हमारे दौर में कोई विवेकानन्द कैसे हो
हमारे दौर में शिक्षण किसी उत्पाद जैसा है
तुम्हारा मुस्कुरा के लाज से शरमा के छिप जाना
बिना बोले समझ जाना कठिन संवाद जैसा है
नहीं इस चाँद में शोख़ी ,अदाकारी चंचलता
तुम्हारी कुछ कलाओं का सहज अनुवाद जैसा है
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |