चित्र -साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
मढ़ेंगे किस तरह इस मुल्क की तस्वीर सोने में
मढ़ेंगे किस तरह भारत की हम तस्वीर सोने में
लगे हैं मुल्क के गद्दार सब जादू औ टोने में
यहाँ हड़ताल और धरना भी प्रायोजित विदेशों से
पड़ोसी मुल्क से आती है बिरयानी भगोने में
सफ़र में हम चले जब से अपशकुन हो रहे हर दिन
बड़ी गहरी है साज़िश टूल किट बिल्ली के रोने में
जो दरिया पी गए ,पानी का कतरा भी नहीं छोड़े
वही मल्लाह शामिल हैं नयी कश्ती डुबोने में
कई धृतराष्ट्र ,संजय ,शकुनि फिर पासे लिए बैठे
कोई अख़बार ,चैनल और कोई टी0वी0 के कोने में
बहुत मुश्किल से कोई एक पृथ्वी राज होता है
कई राजा यहाँ फिर से लगे जयचंद होने में
वतन को लूटने वालों के घर चाँदी के बर्तन हैं
वतन पर मरने वाले खाते हैं पत्तल औ दोने में
मिली केसर की खुशबू धुन्ध में खोये चिनारों को
जहाँ मौसम भी शामिल था कभी काँटों को बोने में
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
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