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गुरुवार, 31 जुलाई 2025

पुस्तक भेंट -सम्माननीय सदस्य कैट श्री मोहन प्यारे जी एवं श्री रजनीश राय जी

 

सम्माननीय सदस्य कैट श्री मोहन प्यारे जी एवं
माननीय श्री रजनीश कुमार राय जी को
अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए


हिन्दी ग़ज़ल व्यापकता और विस्तार -ज्ञानप्रकाश विवेक

 नई किताब

आदरणीय श्री ज्ञानप्रकाश विवेक जी

हिन्दी ग़ज़ल व्यापकता और विस्तार-लेखक श्री ज्ञान प्रकाश विवेक

हिन्दी ग़ज़ल पर वाणी प्रकाशन से आदरणीय ज्ञानप्रकाश विवेक की बेहतरीन आलोचनात्मक पुस्तक प्राप्त हुई. 371 पेज की यह पुस्तक है इसमें विशद आलेख हैं. मुझे भी शामिल किया गया है. बहुत मेहनत के साथ कुल पांच वर्षों के अथक प्रयास से यह पुस्तक प्रकाशित हुई है.इस पुस्तक में कुल तीन खण्ड हैं बहुत बहुत बधाई आदरणीय ज्ञान प्रकाश जी



पुस्तक -हिन्दी ग़ज़ल व्यापकता और विस्तार 

लेखक -श्री ज्ञान प्रकाश विवेक 

प्रकाशक वाणी प्रकाशन नई दिल्ली 

मूल्य सजिल्द -795

बुधवार, 23 जुलाई 2025

मेरी किताब सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है

 ताज़ा किताब-सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है (ग़ज़ल संग्रह)

प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी मेरा ग़ज़ल संग्रह पढ़ते हुए

प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया के साथ

उर्दू विभाग इलाहाबाद विश्व विद्यालय प्रोफ़ेसर ज़फर

श्री श्रीरंजन शुक्ल जी पूर्व अधिकारी इलाहाबाद
संग्रहालय

आज इलाहाबाद केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग जाना हुआ मकसद था आदरणीय प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करना. उर्दू विभाग भी जाकर एक प्रोफ़ेसर को अपनी ताज़ा प्रकाशित पुस्तक भेंट किए. और सुबह लोकप्रिय उपन्यासकर श्री लाल शुक्ल जी को घर पर जाकर संग्रह भेंट किए.

मंगलवार, 22 जुलाई 2025

भाई आमोद माहेश्वरी जी के साथ

 

भाई आमोद माहेश्वरी जी मेरे ग़ज़ल संग्रह के साथ

आज की तसवीर विशेष महत्वपूर्ण है आज राजकमल समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी( प्रकाशक) भाई आमोद माहेश्वरी जी के साथ. मेरे ग़ज़ल संग्रह "सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है "का प्रकाशन आदरणीय श्री रमेश ग्रोवर जी एवं भाई आमोद जी के कारण ही  हो सका. आभार भाई आमोद माहेश्वरी जी और राजकमल प्रकाशन समूह का. आप सभी का दिन शुभ हो.

राजकमल समूह के C. E. O. भाई आमोद माहेश्वरी जी
 
के साथ मेरा ग़ज़ल संग्रह लोकभारती से प्रकाशित हुआ है


शनिवार, 19 जुलाई 2025

एक ग़ज़ल -ग़ुम हुए अपनी ही दुनिया में

 

चित्र साभार गूगल

एक ग़ज़ल 


ग़ुम हुए अपनी ही दुनिया में सँवरने वाले 

हँसके मिलते हैं कहाँ राह गुजरने वाले 


घाट गंगा के वही नाव भी केवट भी वही 

अब नहीं राम से हैं पार उतरने वाले 


फैसले होंगे मगर न्याय की उम्मीद नहीं 

सच पे है धूल गवाहान मुकरने वाले 


अब तो बाज़ार की मेहंदी लिए बैठा सावन

रंग असली तो नहीं इससे उभरने वाले


ढूँढता हूँ मैं हरेक शाम अदब की महफ़िल

जिसमें कुछ शेर तो हों दिल में उतरने वाले



कवि जयकृष्ण राय तुषार

सभी चित्र साभार गूगल

बुधवार, 16 जुलाई 2025

श्री रमेश जी प्रान्त प्रचारक काशी प्रान्त को पुस्तक भेंट

 आज संघ कार्यालय में आदरणीय श्री रमेश जी को अपना ग़ज़ल संग्रह एवं एक अन्य पुस्तक भेंट करते हुए. साथ में भाई श्याम नारायण जी

आदरणीय श्री रमेश जी प्रान्त प्रचारक काशी प्रान्त
 साथ में श्याम नारायण जी और मैं

आदरणीय श्री रमेश जी प्रान्त प्रचारक काशी-
 प्रान्त को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए






शुक्रवार, 27 जून 2025

प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे अध्यक्ष उत्तर प्रदेश शिक्षा आयोग को पुस्तक भेंट करते हुए

 

माननीया अध्यक्ष U. P. State Education Commission
प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए

माननीया अध्यक्ष यू. पी. स्टेट एजुकेशन कमीशन
प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को भारतीय संविधान की
 प्रति भेंट करते हुए

गुरुवार, 26 जून 2025

हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा स्थानीय कार्यालय

 कल शाम अंतराराष्ट्रीय महात्मा गाँधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रयागराज सेंटर पर जाना हुआ. निदेशक आदरणीय प्रोफ़ेसर अखिलेश दूबे जी ने अंगवस्त्रम से सम्मानित किया. मैंने निदेशक महोदय एवं पत्रकारिता के सहायक आचार्य को अपना ग़ज़ल संग्रह सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है भेंट किया.





शुक्रवार, 20 जून 2025

ग़ज़ल संग्रह -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है

 

पूर्व कुलपति B. H. U. प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी जी को
अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए

प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पूर्व कुलपति काशी हिन्दू विश्व विद्यालय