चित्र साधार गूगल |
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(हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों का ब्लॉग)
चित्र साधार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
मित्रों आप सभी को रंगों के पर्व होली की हार्दिक शुभकामनायें
बुरा न मानो होली है यह सनातन पर्व बना रहे सभी के जीवन में खुशियों का रंग बिखेरता रहे.
एक ग़ज़ल -होली में
चित्र साभार गूगल |
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एक
चित्र साभार गूगल |
एक गज़ल -तितलियाँ अच्छी लगीं
कूकती कोयल, बहारें, तितलियाँ अच्छी लगीं
उसकी यादों में गुलों की वादियाँ अच्छी लगीं
जागती आँखों ने देखा इक मरुस्थल दूर तक
स्वप्न में जल में उछ्लतीं मछलियाँ अच्छी लगीं |
मूंगे -माणिक से बदलते हैं कहाँ किस्मत के खेल
हाँ मगर उनको पहनकर उँगलियाँ अच्छी लगीं |
देखकर मौसम का रुख तोतों के उड़ते झुंड को
पके गेहूं की सुनहरी बालियाँ अच्छी लगीं |
दूर थे तो सबने मन के बीच सूनापन भरा
उसके मिसरे पर मिली जब दाद तो मैं जल उठा
अपनी ग़ज़लों पर हमेशा तालियाँ अच्छी लगीं |
जब जरूरत हो बदल जाते हैं शुभ के भी नियम
घर में जब चूहे बढे तो बिल्लियाँ अच्छी लगीं |
चित्र -गूगल से साभार
[मेरी यह ग़ज़ल आजकल फरवरी 2007 में प्रकाशित है ]
चित्र साभार गूगल |
एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया
बरसाने की लट्ठमार होली चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
एक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर
तिरंगा -जय हिन्द जय भारत वन्देमातरम |
एक पुरानी ग़ज़ल
एक ग़ज़ल देश के नाम -
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
हवा ,ये फूल ,ये खुशबू ,यही गुबार रहे
कहीं से लौट के आऊँ तुझी से प्यार रहे
मैं जब भी जन्म लूँ गंगा तुम्हारी गोद रहे
यही तिरंगा ,हिमालय ये हरसिंगार रहे
बचूँ तो इसके मुकुट का मैं मोरपंख बनूँ
मरूँ तो नाम शहीदों में ये शुमार रहे
ये मुल्क ख़्वाब से सुंदर है जन्नतों से बड़ा
यहाँ पे संत ,सिद्ध और दशावतार रहे
मैं जब भी देखूँ लिपट जाऊँ पाँव को छू लूँ
ये माँ का कर्ज़ है चुकता न हो उधार रहे
भगत ,आज़ाद औ बिस्मिल ,सुभाष भी थे यहीं
जो इन्क़लाब लिखे सब इन्हीं के यार रहे
आज़ादी पेड़ हरा है ये मौसमों से कहो
न सूख पाएँ परिंदो को एतबार रहे
तमाम रंग नज़ारे ये बाँकपन ये शाम
सुबह के फूल पे कुछ धूप कुछ 'तुषार 'रहे
कवि /शायर -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल |
चित्र -साभार गूगल -भारत के लोकरंग |
महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश डॉ. अजय कुमार मिश्र को स्वामी योगानंद जी की पुस्तक भेंट करते हुए |
उत्तर प्रदेश के महाधिवक्ता डॉ. अजय कुमार मिश्र जी, महाधिवक्ता बनने के पूर्व उच्चतम न्यायालय के सीनियर एडवोकेट रहे. वकालत के अतिरिक्त माननीय की रूचि भारतीय दर्शन, अध्यात्म, और भारतीय संस्कृति और परम्परा में है. साहित्य के प्रति अभिरूचि भी आपकी एक विशेषता है.इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति माननीय श्री अश्वनी कुमार मिश्र जी आपके अनुज हैं. आपका जन्म 1958 में प्रयाग में हुआ था. आप इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रतिष्ठित न्यायमूर्ति स्मृतिशेष एस. आर. मिश्र के ज्येष्ठ पुत्र हैं .श्री वृन्दावन मिश्र जी माननीय महाधिवक्ता जी के सुपुत्र हैं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकील हैं.आज मुझे माननीय महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश से मिलने और उनको पुस्तक भेंट करने का सुअवसर मिला.माननीय महाधिवक्ता महोदय के प्रति मैं हृदय से कृतज्ञ हूँ.
महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश डॉ.अजय कुमार मिश्र को पुस्तक भेंट करते हुए |
डॉ. अजय कुमार मिश्र महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश |
एक गीत -और कमल का फूल रहे
माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री मोदी जी |
माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी |
एक गीत -और कमल का फूल रहे
शंख नाद सरयू से गूंजे
काशी में तिरशूल रहे
2024 में मोदी और
कमल का फूल रहे.
पी. ओ. के. में उड़े तिरंगा
तिब्बत में आजादी हो
अमित शाह, डोवाल सरीखा
हर नेता फौलादी हो
भारत माँ के चरण कमल में
अब न कभी भी शूल रहे.
यूपी में योगी बाबा का
मान और सम्मान रहे
हमको अपनी संस्कृति
गौरव गाथा पर अभिमान रहे
सबका साथ विकास सभी का
यही अटल स्कूल रहे.
राष्ट्र धर्म के साथ साथ में
सर्व धर्म समभाव रहे
उसे तिरंगा देना जिसका
जग में अमिट प्रभाव रहे
एक व्यवस्था संविधान की
एक सभी का रूल रहे
पाक परस्तों, गद्दारों को
कुर्सी मत दिखलाना जी
वीर शिवाजी, राणा जैसा
योद्धा फिर से लाना जी
युद्ध क्षेत्र में सन बासठ के
जैसी कभी न भूल रहे
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
राष्ट्रीय पुष्प कमल |