एक देश गान -जागो फिर वैशाली
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चित्र साभार गूगल |
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एक देशगान-जागो फिर वैशाली
तक्षशिला,
नालंदा जागो
जागो फिर वैशाली.
जागो फिर
चौसठ योगिनियों
महाकाल की काली.
फिर कोदंड
उठाकर निकलो
हे रघुकुल के नायक,
पंचवटी के
ऋषियों का
फिर जीवन हो सुखदायक,
धर्म, मोक्ष से
रिक्त न हो
अब अक्षय वट की डाली.
वक़्त आ गया
चक्र उठा लो
वंशी, मुरली छोड़ो,
हे पीतांबर धारी
कटि फिर
दुर्योधन की तोड़ो,
विदुर बुझाओ
लक्षागृह की
ज्वाला लपटों वाली.
चन्द्रगुप्त
चाणक्य,शिवाजी
राणा अपने नायक,
गांधारी के
दरबारों में
पूजनीय खलनायक,
भारत माता
की गाथा हो
युग-युग गौरवशाली.
जयकृष्ण राय तुषार
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