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शुक्रवार, 27 जून 2025

प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे अध्यक्ष उत्तर प्रदेश शिक्षा आयोग को पुस्तक भेंट करते हुए

 

माननीया अध्यक्ष U. P. State Education Commission
प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए

माननीया अध्यक्ष यू. पी. स्टेट एजुकेशन कमीशन
प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को भारतीय संविधान की
 प्रति भेंट करते हुए

गुरुवार, 26 जून 2025

हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा स्थानीय कार्यालय

 कल शाम अंतराराष्ट्रीय महात्मा गाँधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रयागराज सेंटर पर जाना हुआ. निदेशक आदरणीय प्रोफ़ेसर अखिलेश दूबे जी ने अंगवस्त्रम से सम्मानित किया. मैंने निदेशक महोदय एवं पत्रकारिता के सहायक आचार्य को अपना ग़ज़ल संग्रह सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है भेंट किया.





शुक्रवार, 20 जून 2025

ग़ज़ल संग्रह -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है

 

पूर्व कुलपति B. H. U. प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी जी को
अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए

प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पूर्व कुलपति काशी हिन्दू विश्व विद्यालय


शुक्रवार, 13 जून 2025

श्री अशोक मेहता जी अपर महाधिवक्ता( उत्तर प्रदेश सरकार) को पुस्तक भेंट

 आज उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता और लेखक आदरणीय श्री अशोक मेहता जी को उनके सरकारी चेम्बर में अपना ताज़ा ग़ज़ल संग्रह भेंट किए.आदरणीय श्री अशोक मेहता जी की पंडित मदन मोहन मालवीय पर उनके द्वारा लड़े गए महत्वपूर्ण मुकदमों पर पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है. साथ में आदरणीय श्री वंश नारायण पाठक जी, श्री अलोक शर्मा जी, आदरणीय श्री सतीश राय जी और एडवोकेट पांडे जी उपस्थित रहे. आप सभी का दिन शुभ हो.

आदरणीय अशोक मेहता अपर महाधिवक्ता को पुस्तक भेंट

उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता श्री अशोक मेहता जी
एवं अन्य सरकारी वकील मेरे ग़ज़ल संग्रह के साथ


सोमवार, 2 जून 2025

एक देशगान -वेदों का पावन धाम कहो

 


एक देशगान -

वेदों का पावन धाम कहो 


भारत माता के 

चरणों में 

वेदों का पावन धाम कहो.

अब भगवा ध्वज 

लेकर निकलो 

दुनिया से जय श्रीराम कहो.


हम नफ़रत 

द्वेष नहीं करते 

मानवता, शांति सिखाते हैं,

सब धर्मों का 

आदर करते 

हम सबका मान बढ़ाते हैं,

हम सामवेद भी 

गाते हैं 

भारत माँ को सुरग्राम कहो.


गंगा, यमुना के 

घाट पुण्य 

सरयू की छटा निराली है,

गिरिनार, नर्मदा 

संतों की 

विंध्याचल शेरावाली है,

काशी के घाटों 

को प्रणाम 

संगीत, भजन की शाम कहो.


चमकेगा 

सूर्य सनातन का 

फिर त्रेता, द्वापर आएंगे,

कुरुक्षेत्र 

सुनेगा गीता फिर

लंका को राख बनाएंगे,

वीरों होकर

निर्भय निकलो

सोते जगते हरि नाम कहो.

प्रभु श्रीराम



शुक्रवार, 30 मई 2025

नई किताब -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है

माननीय न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल जी
न्यायधीश उच्चतम न्यायालय

प्रतिष्ठित परिवार में जन्म इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत फिर यहीँ पर माननीय न्यायधीश के रूप में शपथ. जम्मू कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायधीश पुनः राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश. वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायधीश. सहज सरल सौम्य माननीय मित्तल साहब क़ानून के मर्मज्ञ होने के साथ हिन्दी साहित्य के प्रति अगाध लगाव रखते हैं. साहित्यकारों के प्रति हृदय में सम्मान का भाव रखते हैं. माननीय का हृदय से आभार.
 
माननीय न्यायमूर्ति आदरणीय श्री पंकज मित्तल
जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए


गुरुवार, 8 मई 2025

एक देशगान -ये काशी का विहान है

 

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी

भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी को समर्पित गीत

अवधपुरी 

की शाम है 

ये काशी का विहान है.

माँ भारती की 

शान है 

ये मोदी तो महान है.


मन में 

राम शिव बसे हैं 

भक्त है केदार का,

पर्वतों की

घाटियों में

वृक्ष देवदार का,

देश की 

कठिन घड़ी में 

यह सरल निदान है.


छत्रपति का 

तेज है 

यह वीर छात्रसाल है,

विश्व राजनीति का 

चाणक्य 

ये कमाल है,

यह आस्था का

गीत है

यह देश का गुमान है.


सैनिकों से 

पर्वतों की 

चोटियों पे जा मिला,

फिर बर्फ से 

ढकी हुई 

जमीन पर कमल खिला,

यह अंधकार में 

अखण्ड ज्योति 

दीपदान है.

कवि 

जयकृष्ण राय तुषार 

चित्र साभार गूगल


चित्र साभार गूगल

शुक्रवार, 2 मई 2025

सरस्वती सुमन का माहेश्वर तिवारी स्मृति अंक

 

स्मृति शेष माहेश्वर तिवारी

समीक्षा-

गीत की बांसुरी थे माहेश्वर तिवारी

कीर्तिशेष नवगीतकार माहेश्वर तिवारी जी की स्मृति में देहरादून से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का अप्रेल 2025 अंक बहुत ही अच्छे कलेवर में 172 पृष्ठीय "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक" के रूप में प्रकाशित हुआ है जिसके अतिथि संपादक नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का श्रम, चयन और संपादकीय दृष्टि बहुत ही सराहनीय है। पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ आनंद सुमन सिंह ने बहुत ही उत्कृष्ट संपादकीय परम्परा का निर्वाह किया है। विशेषांक सुन्दर साज सज्जा व उच्च कोटि की प्रिंटिंग के साथ साथ माहेश्वर तिवारी जी पर केन्द्रित उत्कृष्ट सामग्री को संजोए है। माहेश्वर जी एक महान और लोकप्रिय नवगीतकार थे कई पीढ़ियों के रचनाकारों को उन्होंने देखा सुना और उन्हें अपने मन का सुन्दर नवगीत सुनाया। कविसम्मेलन मंचों पर वे कभी भी हल्का या फूहड़ नहीं हुए, उन्होंने जो साहित्य में लिखा वही मंच पर पढ़ा। पत्रिका के कवर पर उनकी बोलती हुई तस्वीर आकर्षित करती है और लगता है अभी एक जीवंत ठहाका सुनने को मिलेगा। इस महत्वपूर्ण और संग्रणीय विशेषांक में संपादकीय के साथ प्रथम खंड में माहेश्वर जी का सृजन संसार है जिसमें उनके नवगीत हैं, दोहे है, ग़ज़लें हैं, उनके जीवन की एकमात्र कहानी है और उनसे लिया गया साक्षात्कार है। इसके अलावा आलेख खंड में अवध बिहारी श्रीवास्तव, ओम निश्चल, राजेन्द्र गौतम, गुलाब सिंह सहित देश के 51 बड़े साहित्यकारों के आलेख हैं और डा. बुद्धिनाथ मिश्र, यश मालवीय, जयकृष्ण राय तुषार, मीनाक्षी ठाकुर आदि के 17 श्रद्धांजलि गीत हैं। विशेषांक में माहेश्वर जी के दुर्लभ और ऐतिहासिक फोटो के साथ साथ उनके परिवारजनों- पत्नी बालसुंदरी तिवारी, पुत्र समीर तिवारी, पुत्रवधु आशा तिवारी और पौत्रियों भाषा व अक्षरा के भावोदगार भी शामिल हैं। आख़िर में, देश के विभिन्न शहरों में हुईं श्रद्धांजलि सभाओं के समाचार और उनके निधन के पश्चात प्रकाशित उनके ग़ज़ल संग्रह 'धूप पर कुहरा बुना है' की योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा की गई समीक्षा से यह विशेषांक महत्वपूर्ण बन गया है। माहेश्वर जी गीत की बाँसुरी से गहन सन्नाटा तोड़ देने वाले गीत कवि थे। वे अपने अनूठे गीतों के साथ युगों तक पाठकों के बीच और गीतकारों के बीच मौजूद रहेंगे। कुल मिलाकर यह बहुत ही सुन्दर, पठनीय और संग्रहणीय विशेषांक है और सरस्वती सुमन पत्रिका की ओर से एक सच्ची श्रद्धांजलि भी है। 

समीक्षक- जयकृष्ण राय तुषार

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कृति- पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक "

संपादक- आनंद सुमन सिंह

विशेषांक संपादक- योगेन्द्र वर्मा व्योम

प्रकाशन- अप्रेल, 2025

मूल्य- रुपये 50/-

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मंगलवार, 29 अप्रैल 2025

एक देशगान -वीरों सरहद पार करो

तिरंगा

 
विष्णु अवतार भगवान परशुराम

परशुराम के 

जन्मदिवस पर 
वीरों सरहद पार करो.
भारत माता 
की जय बोलो 
दुश्मन का संहार करो.

काहूटा को 
राख बना दो 
मारो हर उन्मादी को,
रावण की 
लंका को फूंको 
मारो हर जेहादी को,
कभी नहीं 
जो हुआ आज तक 
 वह तांडव इस बार करो.

खप्पर और त्रिशूल 
उठा लो 
महाकाल को याद करो,
रावलपिंडी 
और कराची 
को बिलकुल बर्बाद करो,
पांचजन्य फूंको 
मानवता का 
फिर से उद्धार करो.

दुनिया काँपे 
अबकी जो भी
युद्ध लड़ो निर्णायक हो,
भारत का
हर सैनिक लक्ष्मण
महावीर रघुनायक हो,
अग्नि, त्रिशूल
पिनाक दागकर
अब अपनी हुंकार भरो.
चित्र साभार गूगल


मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

एक देशगान -बाज़ उड़ाओ

 

भारत माता

देशगान -


एक भिखारी मुल्क 
चुनौती 
देता हिंदुस्तान को.
दुनिया के 
नक्शे से गायब
कर दो पाकिस्तान को,

बाज़ उड़ाओ 
श्वेत कबूतर 
कब तक यहाँ उड़ाओगे,
कब तक सत्य-
अहिंसा वाला 
झूठा गीत सुनाओगे,
अब  ब्रम्हास्त्र 
चलाकर मारो
सदियों के शैतान को.

बार -बार आतंकी 
घेरो मारो 
यही कहानी है,
फिर धरती 
कुरुक्षेत्र बना दो 
इसमें क्या हैरानी है,
सूर्य निगल 
जाये जो पल में 
याद करो हनुमान को.

आँख दिखाते 
बांग्लादेशी 
कैसी नीति हमारी है,
घात लगाए 
दुश्मन बैठे 
घर में भी गद्दारी है,
कब्जे में लो 
सिंध कराची 
और बलूचिस्तान को.

जयहिंद

तिरंगा