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चित्र साभार गूगल |
फूलों से श्रृंगार कर मौसम हुआ अनंग
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चित्र साभार गूगल |
(हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों का ब्लॉग)
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चित्र साभार गूगल |
फूलों से श्रृंगार कर मौसम हुआ अनंग
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार |
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चित्र -गूगल सर्च इंजन से साभार |
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चित्र साभार गूगल |
प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का भव्य मन्दिर बने
मैं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी से परमपूज्य चारो शंकराचार्य और संत समाज के साथ देश के उद्योगपति बन्धुओं से निवेदन करता हूँ कि महाकुम्भ 2025 की मनोहर स्मृति में संगम, अरेल या लेटे हनुमान जी के निकट विश्व में श्रेष्ठतम माँ गंगा, यमुना और सरस्वती का मन्दिर बने.आस्था के साथ पर्यटन भी धन्य होगा. यह महाकुम्भ सनातन आस्था का दिव्य, अलौकिक और विराट स्वरूप है. सकल विश्व के लिए शांति और अध्यात्म का अतुलनीय शंखनाद है.धनकुबेरों और आमजन की आस्था का महासंगम देखने को मिला इस महान कुम्भ में. हर हर गंगे. जय प्रयागराज
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चित्र साभार गूगल |
हिंदुस्तान समाचार पत्र के मुख्य कॉपी एडिटर एवं सुप्रसिद्ध कहानीकार भाई रणविजय सिंह सत्यकेतु ने महाकुम्भ पर स्पेशल विशेषांक निकला जिसे प्रबंधन ने राष्ट्रीय पेज पर प्रकाशित किया था. माघ पूर्णिमा का स्नानपर्व विगत 12 फरवरी को सम्पन्न हुआ.
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हिंदुस्तान में महाकुम्भ पर मेरी ग़ज़ल |
*यह प्रयाग है *मेरे कुम्भ गीत का अलबम रिलीज
गायक विख्यात भजन गायक पद्मश्री श्री अनूप जलोटा एवं श्रीमती दीप्ति
चतुर्वेदी. संगीत श्री विवेक प्रकाश जी का
मैंने 2001 में महाकुम्भ इस गीत का सृजन किया था रेडिओ कलाकारों के साथ कुछ स्थानीय गायकों द्वारा इसे स्वर दिया गया. लेकिन मेरी शुभचिंतक श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी ने कमाल कर दिया. विख्यात भजन गायक श्री अनूप जलोटा जी के साथ गाकर मेरे गीत को अमर कर दिया. संगीत भाई श्री विवेक प्रकाश जी का है. इसे red ribbon musik ने रिलीज किया है. यह मेरे लिए सुखद और शानदार अनुभव है. भजन सम्राट श्री अनूप जलोटा, मेरे लिए परम आदरणीया श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी एवं भाई श्री विवेक प्रकाश के प्रति एवं red ribbon musik के प्रति मैं हृदय से आभारी हूँ. आप सभी इस महाकुम्भ गीत को सुनें और आशीष प्रदान करें. जय तीर्थराज प्रयाग. जय गंगा, जमुना सरस्वती मैया. जयहनुमान जी
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श्री विवेक प्रकाश पद्मश्री श्री अनूप जलोटा जी एवं गायिका श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी |
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श्री अनूप जलोटा जी श्रीमती दीप्ती चतुर्वेदी जी एवं श्री विवेक प्रकाश जी |
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दैनिक भाष्कर |
यह प्रयाग है |
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गोस्वामी तुलसीदास |
एक ताज़ा ग़ज़ल
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चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल
पर्वत, नदी, दरख़्त, तितलियों को प्यार दे
अपनी हवस को छोड़ ये मौसम संवार दे
इतना ग़रीब हूँ कि इक तस्वीर तक नहीं
ख़्वाबों में आके माँ कभी मुझको पुकार दे
मुझको भी तैरना है परिंदो के साथ में
संगम के बीच माँझी तू मुझको उतार दे
झूले पे मैं झुलाऊँगा राधा जू स्याम को
चन्दन की काष्ठ भक्ति से गढ़के सुतार दे
दुनिया की असलियत को परखना ही है अगर
ए दोस्त मोह माया की ऐनक उतार दे
काशी में तुलसीदास या मगहर में हों कबीर
दोनों ही सिद्ध संत हैं दोनों को प्यार दे
जिस कवि के दिल में राष्ट्र हो वाणी में प्रेरणा
उस कवि को यह समाज भी फूलों का हार दे
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
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संत कबीरदास |
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लेखक प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया
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यशस्वी लेखक प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया |
लोकभारती प्रकाशन प्रयागराज से अभी एक किताब प्रकाशित हुई है. अंग्रेजी राज और हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता इस पुस्तक के लेखक इलाहाबाद केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी हैं.पुस्तक हिन्दी पत्रकारिता के अतीत के पन्नो को बहुत सजगता से खोलती है.यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है. सजिल्द 600 रूपये मूल्य है और पेपरबैक 350 रूपये. लोकभारती ने इस पुस्तक का आवरण भी सुंदर डिजायन किया है. पुस्तक में कुल 191 पृष्ठ हैं एवं फ्लैप महाश्वेता देवी का है.प्रोफ़ेसर भदौरिया इलाहाबाद विश्व विद्यालय के स्नातक एवं परास्नातक,एम. फिल.एवं पी. एच. डी. जवाहलाल नेहरू विश्व विद्यालय से किए हैं.अंतर्राष्ट्रीय महात्मा गाँधी हिन्दी विश्व विद्यालय वर्धा के निदेशक पद पर रहते हुए इनके द्वारा साहित्यिक कार्यक्रमों को ऊँचाई प्रदान की गयी.प्रोफ़ेसर भदौरिया जी को उनकी इस नवीनतम कृति के लिए बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें.
महान लेखिका महाश्वेता देवी के शब्दों में --=-
"पेशे से प्राध्यापक संतोष भदौरिया ने ब्रिटिश काल के मिडिया पर बेहद महत्वपूर्ण अनुशीलन प्रस्तुत किया है. उनकी किताब पढ़ते हुए आज के पाठक जान सकेंगे कि पराधीन भारत में किस तरह शब्दों पर पहरे बिठा दिए जाते थे. किस तरह पत्रिकाओं को प्रतिबंधित किया जाता था और प्रतिबंधों के बावजूद किस तरह तत्कालीन पत्रकारों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ संघर्ष को आगे बढ़ाया और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी के लिए आम जनता को प्रेरित किया.
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संतोष पत्रकारिता के इतिहास के अन्यतम अध्येता और विशेषज्ञ हैं. वे विचारों से प्रगतिशील हैं. उनके साहित्य में सुसंगत इतिहास बोध और इतिहास दृष्टि है. इसी कारण वे मूल्यवान इतिहास रच सके हैं और पाठकों को भी वे अतीत में उतरने का मौका देते हैं.
महाश्वेता देवी
पुस्तक के फ्लैप से
पुस्तक का नाम -अंग्रेजी राज एवं हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता
प्रकाशक -लोकभारती प्रकाशन
पेपरबैक मूल्य 350 रूपये
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पुस्तक का बैक कवर फ्लैप |
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
दिए बुझाती रही हैं सभी दिशाएं यहाँ
उजाले किसकी अदालत में सच बताएँ यहाँ
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चित्र साभार गूगल |
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मेलाधिकारी महाकुम्भ श्री विजय किरण आनंद |
मेलाधिकारी कुम्भ श्री विजय किरण आनंद जी को फ्रेम किया कुम्भ गीत और कुछ पुस्तकें भेंट किया. मुलाक़ात काफी सहृदयता से हुईं. श्री विजय किरण आनंद जी होनहार I. A. S. हैं और महत्वपूर्ण सुधार के लिए जाने जाते हैं.
महाकुम्भ नगर का प्रथम जिलाधिकारी भी आदरणीय श्री विजय किरण आनंद जी को बनाया गया है.महाकुम्भ की निर्विघ्न सफलता हेतु हार्दिक शुभकामनायें.