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माननीया अध्यक्ष U. P. State Education Commission प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए |
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माननीया अध्यक्ष यू. पी. स्टेट एजुकेशन कमीशन प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को भारतीय संविधान की प्रति भेंट करते हुए |
(हिन्दी के महत्वपूर्ण कवियों का ब्लॉग)
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माननीया अध्यक्ष U. P. State Education Commission प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए |
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माननीया अध्यक्ष यू. पी. स्टेट एजुकेशन कमीशन प्रोफ़ेसर कीर्ति पांडे जी को भारतीय संविधान की प्रति भेंट करते हुए |
कल शाम अंतराराष्ट्रीय महात्मा गाँधी हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रयागराज सेंटर पर जाना हुआ. निदेशक आदरणीय प्रोफ़ेसर अखिलेश दूबे जी ने अंगवस्त्रम से सम्मानित किया. मैंने निदेशक महोदय एवं पत्रकारिता के सहायक आचार्य को अपना ग़ज़ल संग्रह सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है भेंट किया.
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पूर्व कुलपति B. H. U. प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए |
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प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी पूर्व कुलपति काशी हिन्दू विश्व विद्यालय |
आज उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अपर महाधिवक्ता और लेखक आदरणीय श्री अशोक मेहता जी को उनके सरकारी चेम्बर में अपना ताज़ा ग़ज़ल संग्रह भेंट किए.आदरणीय श्री अशोक मेहता जी की पंडित मदन मोहन मालवीय पर उनके द्वारा लड़े गए महत्वपूर्ण मुकदमों पर पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है. साथ में आदरणीय श्री वंश नारायण पाठक जी, श्री अलोक शर्मा जी, आदरणीय श्री सतीश राय जी और एडवोकेट पांडे जी उपस्थित रहे. आप सभी का दिन शुभ हो.
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आदरणीय अशोक मेहता अपर महाधिवक्ता को पुस्तक भेंट |
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उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता श्री अशोक मेहता जी एवं अन्य सरकारी वकील मेरे ग़ज़ल संग्रह के साथ |
एक देशगान -
वेदों का पावन धाम कहो
भारत माता के
चरणों में
वेदों का पावन धाम कहो.
अब भगवा ध्वज
लेकर निकलो
दुनिया से जय श्रीराम कहो.
हम नफ़रत
द्वेष नहीं करते
मानवता, शांति सिखाते हैं,
सब धर्मों का
आदर करते
हम सबका मान बढ़ाते हैं,
हम सामवेद भी
गाते हैं
भारत माँ को सुरग्राम कहो.
गंगा, यमुना के
घाट पुण्य
सरयू की छटा निराली है,
गिरिनार, नर्मदा
संतों की
विंध्याचल शेरावाली है,
काशी के घाटों
को प्रणाम
संगीत, भजन की शाम कहो.
चमकेगा
सूर्य सनातन का
फिर त्रेता, द्वापर आएंगे,
कुरुक्षेत्र
सुनेगा गीता फिर
लंका को राख बनाएंगे,
वीरों होकर
निर्भय निकलो
सोते जगते हरि नाम कहो.
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प्रभु श्रीराम |
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माननीय न्यायमूर्ति श्री पंकज मित्तल जी न्यायधीश उच्चतम न्यायालय |
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माननीय न्यायमूर्ति आदरणीय श्री पंकज मित्तल जी को अपना ग़ज़ल संग्रह भेंट करते हुए |
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भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी |
भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री जी
भारत के माननीय प्रधानमंत्री जी को समर्पित गीत
अवधपुरी
की शाम है
ये काशी का विहान है.
माँ भारती की
शान है
ये मोदी तो महान है.
मन में
राम शिव बसे हैं
भक्त है केदार का,
पर्वतों की
घाटियों में
वृक्ष देवदार का,
देश की
कठिन घड़ी में
यह सरल निदान है.
छत्रपति का
तेज है
यह वीर छात्रसाल है,
विश्व राजनीति का
चाणक्य
ये कमाल है,
यह आस्था का
गीत है
यह देश का गुमान है.
सैनिकों से
पर्वतों की
चोटियों पे जा मिला,
फिर बर्फ से
ढकी हुई
जमीन पर कमल खिला,
यह अंधकार में
अखण्ड ज्योति
दीपदान है.
कवि
जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल
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स्मृति शेष माहेश्वर तिवारी |
समीक्षा-
गीत की बांसुरी थे माहेश्वर तिवारी
कीर्तिशेष नवगीतकार माहेश्वर तिवारी जी की स्मृति में देहरादून से प्रकाशित साहित्यिक पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का अप्रेल 2025 अंक बहुत ही अच्छे कलेवर में 172 पृष्ठीय "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक" के रूप में प्रकाशित हुआ है जिसके अतिथि संपादक नवगीतकार योगेन्द्र वर्मा व्योम का श्रम, चयन और संपादकीय दृष्टि बहुत ही सराहनीय है। पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ आनंद सुमन सिंह ने बहुत ही उत्कृष्ट संपादकीय परम्परा का निर्वाह किया है। विशेषांक सुन्दर साज सज्जा व उच्च कोटि की प्रिंटिंग के साथ साथ माहेश्वर तिवारी जी पर केन्द्रित उत्कृष्ट सामग्री को संजोए है। माहेश्वर जी एक महान और लोकप्रिय नवगीतकार थे कई पीढ़ियों के रचनाकारों को उन्होंने देखा सुना और उन्हें अपने मन का सुन्दर नवगीत सुनाया। कविसम्मेलन मंचों पर वे कभी भी हल्का या फूहड़ नहीं हुए, उन्होंने जो साहित्य में लिखा वही मंच पर पढ़ा। पत्रिका के कवर पर उनकी बोलती हुई तस्वीर आकर्षित करती है और लगता है अभी एक जीवंत ठहाका सुनने को मिलेगा। इस महत्वपूर्ण और संग्रणीय विशेषांक में संपादकीय के साथ प्रथम खंड में माहेश्वर जी का सृजन संसार है जिसमें उनके नवगीत हैं, दोहे है, ग़ज़लें हैं, उनके जीवन की एकमात्र कहानी है और उनसे लिया गया साक्षात्कार है। इसके अलावा आलेख खंड में अवध बिहारी श्रीवास्तव, ओम निश्चल, राजेन्द्र गौतम, गुलाब सिंह सहित देश के 51 बड़े साहित्यकारों के आलेख हैं और डा. बुद्धिनाथ मिश्र, यश मालवीय, जयकृष्ण राय तुषार, मीनाक्षी ठाकुर आदि के 17 श्रद्धांजलि गीत हैं। विशेषांक में माहेश्वर जी के दुर्लभ और ऐतिहासिक फोटो के साथ साथ उनके परिवारजनों- पत्नी बालसुंदरी तिवारी, पुत्र समीर तिवारी, पुत्रवधु आशा तिवारी और पौत्रियों भाषा व अक्षरा के भावोदगार भी शामिल हैं। आख़िर में, देश के विभिन्न शहरों में हुईं श्रद्धांजलि सभाओं के समाचार और उनके निधन के पश्चात प्रकाशित उनके ग़ज़ल संग्रह 'धूप पर कुहरा बुना है' की योगेन्द्र वर्मा व्योम द्वारा की गई समीक्षा से यह विशेषांक महत्वपूर्ण बन गया है। माहेश्वर जी गीत की बाँसुरी से गहन सन्नाटा तोड़ देने वाले गीत कवि थे। वे अपने अनूठे गीतों के साथ युगों तक पाठकों के बीच और गीतकारों के बीच मौजूद रहेंगे। कुल मिलाकर यह बहुत ही सुन्दर, पठनीय और संग्रहणीय विशेषांक है और सरस्वती सुमन पत्रिका की ओर से एक सच्ची श्रद्धांजलि भी है।
समीक्षक- जयकृष्ण राय तुषार
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कृति- पत्रिका 'सरस्वती सुमन' का "माहेश्वर तिवारी स्मृति विशेषांक "
संपादक- आनंद सुमन सिंह
विशेषांक संपादक- योगेन्द्र वर्मा व्योम
प्रकाशन- अप्रेल, 2025
मूल्य- रुपये 50/-
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तिरंगा |
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विष्णु अवतार भगवान परशुराम |
परशुराम के
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चित्र साभार गूगल |
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भारत माता |
देशगान -
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जयहिंद |
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