लेबल

सोमवार, 25 जुलाई 2022

एक देशगान -फूल चढ़ाओ भारत माता को

भारत माता 



एक गीत -बलिदान करोड़ों वीरों का

राजघाट से
पहले फूल
चढ़ाओ भारत माता को.
फिर कोई भी
फूल चढ़ाओ
संविधान निर्माता को.

आज़ादी में
एक नहीँ बलिदान
करोड़ों वीरों का,
सत्याग्रह के
साथ रहेगा
योगदान शमशीरों का,
राष्ट्र यज्ञ में
नहीँ भूलना
वेदों के उदगाता को.

राजगुरु
सुखदेव, भगत सिंह
आज़ादी के नायक हैं,
नेताजी, आज़ाद
तिलक सब
राष्ट्रगान के गायक हैं,
नमन लक्ष्मी
दुर्गा भाभी
जैसी आहुति दाता को.

सम्मानित हो
क्रांति कथा अब
एक -एक बलिदानी की,
गंगा जी में
अस्थि प्रवाहित
कर दो काला पानी की,
किसी एक को
श्रेय न हो
अब भारत भाग्य विधाता की.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 


गुरुवार, 14 जुलाई 2022

एक गीत -तैरती जलज्योति

निराला 

बैसवारे की मिट्टी में विख्यात कवि लेखक संपादक हुए हैं जिनमें निराला, रामविलास शर्मा, रसखान, नूर, मुल्ला दाऊद रमई काका, शिव मंगल सिंह सुमन, शिव बहादुर सिंह भदौरिया, रूप नारायण पांडे माधुरी के संपादक आदि. इसी मिट्टी को समर्पित एक गीत 


एक गीत -शुभ्र दीपक ज्योति यह गंगा किनारे की

तैरती 
जल ज्योति
यह गंगा किनारे की.
कीर्ति
सदियों तक
रहेगी बैसवारे की.

जायसी
दाऊद यहाँ
रसखान का ग्वाला,
नूर का है
नूर इसमें
शब्द की ज्वाला,
भूमि यह
शर्मा, सनेही
और दुलारे की.

शिव बहादुर
सिंह की
पुरवा बह रही इसमें,
शब्द साधक
सुमन शिव मंगल
रहे जिसमें,
स्वर्ण, चन्दन
हलद इसमें
चमक पारे की.

यह द्विवेदी
भगवती की
यज्ञशाला है,
यहीं जन्मा
एक फक्कड़
कवि निराला है.
माधुरी
माधुर्य लाई
चाँद तारे की.

वाजपेई
सुकवि रमई
और चित्रा हैं,
बैसवारी
अवस्थी
इसमें सुमित्रा हैं,
डलमऊ की
स्वप्न छवि 
सुन्दर नज़ारे की.

आज भी
यह एक चन्दन
वन कथाओं का
एक अनहद
नाद इसमें
है ऋचाओं का,
शब्द जल में
चाँदनी की
छवि शिकारे की.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार
रसखान 



शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

एक गीत -डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया

 

[स्मृतिशेष ]कवि -डॉ ० शिव बहादुर सिंह भदौरिया 

एक गीत -कवि डॉ ० शिवबहादुर सिंह भदौरिया
परिचय -डॉ 0शिवबाहादुर सिंह भदौरिया 
बैसवारे की मिट्टी में साहित्य के अनेक सुमन खिले हैं जिनकी रचनाशीलता से हिंदी साहित्य धन्य और समृद्ध हुआ है. स्मृतिशेष डॉ 0 शिव बहादुर सिंह भदौरिया भी इसी मिट्टी के कमालपुष्प है. 15 जुलाई सन 1927 को ग्राम धन्नी पुर रायबरेली में आपका जन्म हुआ. हिंदी नवगीत को असीम ऊँचाई प्रदान करने वाले भदौरिया जी डिग्री कालेज में प्रचार्य पद से सेवानिवृत हुए और 2013 में परलोक गमन हुआ. उनके सुपत्र भाई विनय भदौरिया जी स्वयं उत्कृष्ट नवगीतकार हैं और प्रत्येक वर्ष पिता की स्मृतियों को सहेजने के किए डॉ 0 शिवबहादुर सिंह सम्मान दो कवियों को प्रदान करते हैं.
स्मृतिशेष की स्मृतियों को नमन 

बैठी है 
निर्जला उपासी 
भादों कजरी तीज पिया |

अलग -अलग 
प्रतिकूल दिशा में 
सारस के जोड़े का उड़ना |

किन्तु अभेद्य 
अनवरत लय में 
कूकों, प्रतिकूलों का का जुड़ना |

मेरा सुनना 
सुनते रहना 
ये सब क्या है चीज पिया |

क्षुब्ध हवा का 
सबके उपर 
हाथ उठाना ,पांव पटकना 

भींगे कापालिक -
पेड़ों का 
बदहवास हो बदन छिटकना |

यह सब क्यों है 
मैं क्या जानूँ 
मुझको कौन तमीज पिया |


चित्र -गूगल से साभार