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तिरंगा |
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विष्णु अवतार भगवान परशुराम |
परशुराम के
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चित्र साभार गूगल |
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तिरंगा |
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विष्णु अवतार भगवान परशुराम |
परशुराम के
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चित्र साभार गूगल |
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भारत माता |
देशगान -
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जयहिंद |
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तिरंगा |
लोकभारती प्रयागराज के दफ़्तर में राजकमल, लोकभारती, एवं राधाकृष्ण के मुख्य कार्यकारी श्री आमोद माहेश्वरी जी साथ में श्री रमेश ग्रोवर जी, भाई श्री सूर्यनारायण जी एवं श्री विवेक निराला जी.
एक देश गान -जागो फिर वैशाली
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
एक देशगान-जागो फिर वैशाली
तक्षशिला,
नालंदा जागो
जागो फिर वैशाली.
जागो फिर
चौसठ योगिनियों
महाकाल की काली.
फिर कोदंड
उठाकर निकलो
हे रघुकुल के नायक,
पंचवटी के
ऋषियों का
फिर जीवन हो सुखदायक,
धर्म, मोक्ष से
रिक्त न हो
अब अक्षय वट की डाली.
वक़्त आ गया
चक्र उठा लो
वंशी, मुरली छोड़ो,
हे पीतांबर धारी
कटि फिर
दुर्योधन की तोड़ो,
विदुर बुझाओ
लक्षागृह की
ज्वाला लपटों वाली.
चन्द्रगुप्त
चाणक्य,शिवाजी
राणा अपने नायक,
गांधारी के
दरबारों में
पूजनीय खलनायक,
भारत माता
की गाथा हो
युग-युग गौरवशाली.
जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
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चित्र साभार गूगल |
क्रांति गीत -अब सोये बंगाल को
मिलजुलकर
आवाज़ लगाओ
अब सोये बंगाल को.
गंगासागर के
सीने पर
रक्खा किसने ब्याल को.
रामकृष्ण, बंकिम
सुभाष का
चंदन वन मुरझाया है,
संविधान के
हर पन्ने का
अनुच्छेद अकुलाया है,
शर्मिंदा कर
रही आसुरी
नीति यहाँ पाताल को.
अब रविन्द्र संगीत
की धरती
पत्थर लेकर चलती है,
महिलाएं
असुरक्षित
बस्ती असहायों की जलती है,
माँ काली के
साथ बुलाओ
महाकाल विकराल को.
संत विवेकानंद की
गौरव गाथा
कैसे भूल गए,
आज़ादी के
लिए यहाँ
फाँसी पर कितने झूल गए,
जहाँ -जहाँ
विषधर लिपटे हैं
काटो उस हर डाल को.
विगत सप्ताह साहित्य और प्रकाशन जगत की दो महान विभूतियों से लोकभारती /राजकमल प्रकाशन में आत्मीय मुलाक़ात हुई. इलाहाबाद विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व प्रोफ़ेसर /आलोचक एवं कवि आदरणीय श्री राजेंद्र कुमार जी एवं लोकभारती के संस्थापक अब संरक्षक आदरणीय श्री रमेश ग्रोवर जी. रमेश जी अस्वस्थ होकर गुड़गांव चले गए थे पुनः उनकी वापसी से लोग अभिभूत हैं. रमेश जी के साथ दूसरी फोटो प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी हिन्दी विभाग इलाहाबाद विश्व विद्यालय की है.आप दोनों शतायु हों.
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लोकभारती के संस्थापक आदरणीय श्री रमेश ग्रोवर, प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी हिन्दी विभाग इलाहाबाद केंद्रीय विश्व विद्यालय |
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आदरणीय श्री रमेश ग्रोवर संस्थापक लोकभारती एवं कवि, लेखक, प्रोफ़ेसर राजेंद्र कुमार जी |