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रविवार, 13 अप्रैल 2025

एक देशगान -रामकृष्ण बंकिम सुभाष का चंदन वन मुरझाया है

 

चित्र साभार गूगल

चित्र साभार गूगल

क्रांति गीत -अब सोये बंगाल को


मिलजुलकर 

आवाज़ लगाओ 

अब सोये बंगाल को.

गंगासागर के 

सीने पर 

रक्खा किसने ब्याल को.


रामकृष्ण, बंकिम 

सुभाष का 

चंदन वन मुरझाया है,

संविधान के 

हर पन्ने का 

अनुच्छेद अकुलाया है,

शर्मिंदा कर 

रही आसुरी 

नीति यहाँ पाताल को.


अब रविन्द्र संगीत 

की धरती 

पत्थर लेकर चलती है,

महिलाएं 

असुरक्षित 

बस्ती असहायों की जलती है,

माँ काली के 

साथ बुलाओ 

महाकाल विकराल को.


संत विवेकानंद की 

गौरव गाथा 

कैसे भूल गए,

आज़ादी के

लिए यहाँ 

फाँसी पर कितने झूल गए,

जहाँ -जहाँ 

विषधर लिपटे हैं 

काटो उस हर डाल को.



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