चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो
मौसम की कहानी नई उनवान नया हो
आगाज़ नए साल का भगवान नया हो
फूलों पे तितलियाँ हों बहारें हों चमन में
महफ़िल में ग़ज़ल -गीत का दीवान नया हो
बेटी हो या बेटा रहे रस्ते में सुरक्षित
इस अबोहवा में यही एहसान नया हो
खुशहाली हो हर पर्व में रंगोली नई हो
रिश्तों का भरोसा लिए मेहमान नया हो
आँखों में अगर ख़्वाब हो दुनिया के लिए हो
सुख चैन का परचम लिए इंसान नया हो
दहशत में अगर शाख पे बैठे हों परिंदे
सूरज से कहो उनका निगहबान नया हो
इस भीड़ से हटकर चलो मिलते हैं कहीं पर
खुशबू हो हवाओं में बियाबान नया हो
जयकृष्ण राय तुषार
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कवि जयकृष्ण राय तुषार |