चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -अबकी शाखों पर वसंत तुम
अबकी शाखों पर
वसंत तुम
फूल नहीं रोटियाँ खिलाना |
युगों -युगों से
प्यासे होठों को
अपना मकरंद पिलाना |
धूसर मिट्टी की
महिमा पर
कालजयी कविताएं लिखना ,
राजभवन
जाने से पहले
होरी के आँगन में दिखना ,
सूखी टहनी
पीले पत्तों पर
मत अपना रौब जमाना |
जंगल ,खेतों
और पठारों को
मोहक हरियाली देना ,
बच्चों को
अनकही कहानी
फूल -तितलियों वाली देना ,
चिंगारी -लू
लपटों वाला
मौसम अपने साथ न लाना |
सुनो दिहाड़ी
मज़दूरन को
फूलों के गुलदस्ते देना ,
बंद गली
फिर राह न रोके
खुली सड़क चौरस्ते देना ,
साँझ ढले
स्लम की देहरी पर
उम्मीदों के दिए जलाना |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -गूगल से साभार |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें