एक गीत -दिन लौटें मुस्कानों वाले
डायन सी रातें
दिन सहमे
मौसम भी तूफानों वाले |
कोई पाती
लिखे प्रेम की
दिन लौटें मुस्कानों वाले |
पर्वत ,टीलों
नदी ,पठारों
शहरों में पसरा सन्नाटा ,
गंध न कोई
फूल शाख पर
जगह -जगह सेही का काँटा ,
शुभ -मंगल
के शब्द नदारद
जुमले सबके तानों वाले |
सुनों सुनयने !
आज नींद में
आँखों को भर लो सपनों से ,
सबका ख़ैर
कुशलता पूछो
आज पराये और अपनों से ,
पियराये मुख
चाँदनियों के
ग्रह -नक्षत्र शैतानों वाले |
काशी ,वृन्दावन
कौसानी
हँसो पहाड़ों वाली रानी ,
हरियाली
का गीत सुनाओ
उतरो मेघों बरसो पानी ,
हरे नीम
निबकौड़ी वाले
सूखे पत्ते पानों वाले |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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