बुधवार, 5 मई 2021

एक गीत -दिन लौटें मुस्कानों वाले

 

चित्र -साभार गूगल 

एक गीत -दिन लौटें मुस्कानों वाले 

डायन सी रातें 
दिन सहमे 
मौसम भी तूफानों वाले |
कोई पाती 
लिखे प्रेम की  
दिन लौटें मुस्कानों वाले |

पर्वत ,टीलों 
नदी ,पठारों 
शहरों में पसरा सन्नाटा ,
गंध न कोई 
फूल शाख पर 
जगह -जगह सेही का काँटा ,
शुभ -मंगल 
के शब्द नदारद 
जुमले सबके तानों वाले |

सुनों सुनयने !
आज नींद में 
आँखों को भर लो सपनों से ,
सबका ख़ैर 
कुशलता पूछो 
आज पराये और अपनों से ,
पियराये मुख 
चाँदनियों के 
ग्रह -नक्षत्र शैतानों वाले |

काशी ,वृन्दावन  
कौसानी 
हँसो पहाड़ों वाली रानी ,
हरियाली 
का गीत सुनाओ 
उतरो मेघों बरसो पानी ,
हरे नीम 
निबकौड़ी वाले 
सूखे पत्ते पानों वाले |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल 


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