एक गीत -
खेतों से लौट गया नहरों का पानी
खेतों से
लौट गया
नहरों का पानी |
मटमैला
रंग हुआ
फसलों का धानी |
खाद- बीज
ब्याज सहित
कर्ज कुछ उधारी ,
गेहूं में
रोग लगा
धान सब मुंगारी ,
गाँवों के
नाम अलग
एक है कहानी |
मौसम को
पढ़ने में
गिरे चढ़े पारे ,
सरकारें
बदली तो
बदल गए नारे ,
बच्चे
परदेश गए
डूबती किसानी |
झगड़े में
बाग बिके
साझे की नीम कटी ,
एक ही
पड़ोसन थी
दुश्मन के साथ सटी ,
वक्त की
अदालत में
रोज तजमिसानी |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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