माननीय न्यायमूर्ति उच्चतम न्यायालय श्री पंकज मित्तल जी |
लेबल
- मेड़ों पर वसन्त
- एक आस्था का गीत -राम तुम्हारे निर्वासन को दुनिया राम कथा कहती है
- एक आस्था का गीत-यहाँ जन्म लेती हैं मंगल ऋचाएँ
- एक गीत - खेतों से लौट गया नहरों का पानी
- एक गीत -अबकी शाखों पर वसंत तुम
- एक गीत -क्रांतिकारियों के बलिदानों को हम कैसे भूल गए
- एक गीत -गीत निराला के प्रयाग का गंगाजल है
- एक गीत -जहाँ सबसे सुन्दर रंग श्याम
- एक गीत -डॉ शिवबाहादुर सिंह भदौरिया
- एक गीत -तैरती जल ज्योति
- एक गीत -दिन लौटें मुस्कानों वाले
- एक गीत -फिर गुलाबी फूल -कलियों से लदेंगी नग्न शाखें
- एक गीत -बंजारन बाँसुरी बजाना
- एक गीत -मेड़ों पर वसन्त
- एक गीत -यह पुण्य देवभूमि है | राज्यगीत
- एक गीत -राजा से मांगो मत काम koi
- एक गीत -संविधान में कहाँ लिखा है ?
- एक गीत -हाशिये पर नीम
- एक गीत / यह जरा सी बात
- एक गीत-इस पठार पर फूलों वाला मौसम लाऊँगा
- एक गीत-एक रंग होली का
- एक गीत-बासमती के धान हरे हैं
- एक गीत-भींग रहे अँजुरी में फूल
- एक गीत-सारंगी जोगी मत छोड़ना
- एक ताज़ा ग़ज़ल -मगर मतला तुम्हारे हुस्न के दीदार से निकला
- एक दार्शनिक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर
- एक देशगान -उठो अब मेरे हिंदुस्तान
- एक देशगान -फूल चढ़ाओ भारत माता को
- एक प्रेम गीत -आधुनिक संदर्भ दुष्यंत शकुन्तला
- एक प्रेम गीत -वीणा के साथ तुम्हारा स्वर हो
- एक मुलाक़ात -श्री विजय किरण आनंद मेलाधिकारी कुम्भ
- एक होली गीत -रंग ही क्या
- एक ग़ज़ल - मेरी क़िस्मत में नहीं इस झील का शतदल रहा
- एक ग़ज़ल -अब टूटते रिश्तों को बचाने का समय है
- एक ग़ज़ल -आगाज़ नए साल का भगवान नया हो
- एक ग़ज़ल -खौफ़ मौसम का नहीं अब डर नहीं हिमपात का
- एक ग़ज़ल -चिड़िया कभी गाती नहीं
- एक ग़ज़ल -तितलियाँ अच्छी लगीं
- एक ग़ज़ल -तुम्हारा जन्म भारत भूमि पर अपवाद जैसा है
- एक ग़ज़ल -तूफ़ान की जद में है हवाओं की नज़र है
- एक ग़ज़ल -न पेड़ है न परिंदो का अब मकान कोई
- एक ग़ज़ल -पूनम की रात चाँद बहुत सादगी में है
- एक ग़ज़ल -बहुत मौसम कमीना है
- एक ग़ज़ल -मगर संगम के लिए जल की त्रिधारा चाहिए
- एक ग़ज़ल -मैं तो मिट्टी का दिया हूँ कहीं जल सकता हूँ
- एक ग़ज़ल -मढ़ेंगे किस तरह इस मुल्क की तस्वीर सोने में
- एक ग़ज़ल -यह मुल्क सभी का है देखभाल कीजिए
- एक ग़ज़ल -यही हिमालय तिरंगा ये हरसिंगार रहे
- एक ग़ज़ल -ये इश्क नहीं ख़त था किसी काम के लिए
- एक ग़ज़ल -रंग पिचकारी लिए मौसम खड़ा
- एक ग़ज़ल -संगम प्रयागराज/कुम्भ
- एक ग़ज़ल -सभी के पाँव के घुँघरू बजे तो टूट गए
- एक ग़ज़ल -सियासत भी इलाहाबाद में संगम नहाती है
- एक ग़ज़ल -सुर्खाब ग़ज़ल
- एक ग़ज़ल -हर दिन डूबे सूरज इसमें चाँद को हर दिन आना है
- एक ग़ज़ल -हर खिड़की में धूप -चाँदनी
- एक ग़ज़ल -होली में
- एक ग़ज़ल /यादों के कुछ जुगनू रख लो /शायर पवन कुमार
- एक ग़ज़ल-इस बार लिखा उसने न मिलने का बहाना
- एक ग़ज़ल-उतरा जमीं पे चाँद तो बरसात हो गयी
- एक ग़ज़ल-सब ख़्वाब लिए बैठे यहाँ पाँच सितारा
- एक ग़ज़ल-फ़साना ग़ज़ल में था
- किताब-मेड़ों पर वसन्त
- कुछ दोहे -हल्दी के छापे लगें कोहबर गाये गीत
- गीत /ग़ज़ल -करवा चौथ
- गीत संग्रह मेड़ों पर वसन्त प्रकाशक विभोर अग्रवाल के हाथ मे
- गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत
- ज0गु0रा0 स्वामी रामानंदाचार्य रामनरेशाचार्य जी और काशी
- डॉ 0 अजय कुमार मिश्र महाधिवक्ता उत्तर प्रदेश
- डॉ0 अमित भारद्वाज निदेशक उच्च शिक्षा
- दो गज़लें
- दो ग़ज़लें
- दो ग़ज़लें -जयकृष्ण राय तुषार
- दो ग़ज़लें-भारतीय संसजृति
- नई किताब-न्यायालय में महामना
- पद्मश्री शोभना नारायण जी से एक मुलाक़ात
- परिचर्चा /प्रेम की भूतकथा
- पीपल
- पुस्तक -मेंड़ों पर वसंत
- पुस्तक भेंट
- प्रोफ़ेसर सदानन्दप्रसाद गुप्त /कार्यकारी अध्यक्ष हिंदी संस्थान लखनऊ
- महादेवी वर्मा /कुछ चित्र कुछ कविताएँ
- माननीय न्यायधीश उच्चतम न्यायालय श्री पंकज मित्तल जी को पुस्तक भेंट
- मेरा नया गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत
- मेरा सद्यः प्रकाशित गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत
- साहित्य समाज के पीछे लंगड़ाता हुआ चल रहा है /रवीन्द्र कालिया
- स्थापना दिवस समारोह-उ0 प्र0 हिंदी संस्थान
- हिंदी ग़ज़ल का अक्षर पथ -एक आलोचनात्मक किताब
- ग़ज़ल -खुशबू तमाम रंग की हिंदी ग़ज़ल में है
- ग़ज़ल -तुम्हें मन की नज़र से देखते हैं
- ग़ज़ल -होंठ को सिलते -सिलते
- फ़ादर पी0 विक्टर को पुस्तक भेंट करते हुए
शनिवार, 4 मार्च 2023
माननीय न्यायधीश उच्चतम न्यायालय श्री पंकज मित्तल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें