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रविवार, 31 जनवरी 2021

एक ग़ज़ल -मगर संगम के लिए जल की त्रिधारा चाहिए

 

 



एक ग़ज़ल -

मगर संगम के लिए जल की त्रिधारा चाहिए 


उसको धरती ,चाँद ,सूरज और सितारा चाहिए 

मुझको कुछ कागज ,कलम और दोस्त प्यारा चाहिए 


डूबने वाला नदी में शेर हो या आदमी 

बच निकलने के लिए सबको किनारा चाहिए 


मौसमों की मापनी हीरे की हो या स्वर्ण की 

सच बताने के लिए उसको भी पारा चाहिए 


हर नदी का जल है पावन हर नदी में पुण्य है 

मगर संगम के लिए जल की त्रिधारा चाहिए 


प्लास्टिक की स्लेट पर आलेख का सौंदर्य क्या 

काठ की पट्टी है मेरी बस पचारा चाहिए 


सिर्फ़ कुर्सी के लिए षड्यन्त्र और - जलसे जुलूस 

अब देश की समृद्धि हो जिससे वो नारा चाहिए 

कवि /शायर 

जयकृष्ण राय तुषार 

संगम प्रयागराज चित्र साभार गूगल 



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