चित्र -साभार गूगल |
चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -
पूनम की रात चाँद बहुत सादगी में है
ये सारा आसमान आज दिल्लगी में है
पूनम की रात चाँद बहुत सादगी में है
लिखता हूँ ,फाड़ता हूँ ,मिटाता हूँ हर्फ़ को
कागज ,कलम ,दवात मेरी ज़िंदगी में है
आँखें किसी की नम हो तो अपनी रूमाल दे
इतनी तमीज़ आज कहाँ आदमी में है
कोशिश है मेरा शेर जमाने को याद हो
शायर की शायरी तो इसी तिश्नगी में है
कवि /शायर जयकृष्ण राय तुषार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें