चित्र -साभार गूगल |
रदीफ़ काफ़िए और मुश्किल विषय पर ग़ज़ल कहना /लिखना कठिन था इसलिए आँख को मजबूरन रखना पड़ा |
यह ग़ज़ल देश के शीर्ष नेतृत्व और तीनों सेनाओं के साथ सभी तरह के सुरक्षा बलों को समर्पित है ,जिनके अदम्य साहस और बलिदान से यह देश और हम सभी सुरक्षित हैं | जय हिन्द जय भारत !
एक ग़ज़ल -
खौफ़ मौसम का नहीं अब डर नहीं हिमपात का
शकुनि का षड्यंत्र सारा जल गया खुद लाख में
चीन का हर दाव उल्टा पड़ गया लद्दाख में
खौफ़ मौसम का नहीं अब डर नहीं हिमपात का
अटल टनल के संग बनी सड़कें सभी लद्दाख में
देश के गद्दार सेना का मनोबल तोड़ते
अक्ल के अन्धे ये सावन ढूंढते वैशाख में
बनके पोरस जो सिकन्दर से लड़ा इस दौर में
क्यों वही सेवक खटकता है सभी की आँख में
सरहदों पर देश की रक्षा में जो होते शहीद
इक दिया उनके लिए हो मंदिरों की ताख में
दूर तक आकाश में अब गर्जना राफेल की
अब कहाँ घुसपैठ का दम है किसी गुस्ताख़ में
बिहार रेजीमेंट के जाबांज वीरों को नमन
दुश्मनों को मारकर जो मिले पावन राख़ में
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
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