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शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

अंग्रेजी राज और हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता -लेखक संतोष भदौरिया


 नई किताब -अंग्रेजी राज और हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता 

लेखक प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया 

यशस्वी लेखक प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया 


लोकभारती प्रकाशन प्रयागराज से अभी एक किताब प्रकाशित हुई है. अंग्रेजी राज और हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता इस पुस्तक के लेखक इलाहाबाद केंद्रीय विश्व विद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफ़ेसर संतोष भदौरिया जी हैं.पुस्तक हिन्दी पत्रकारिता के अतीत के पन्नो को बहुत सजगता से खोलती है.यह पुस्तक पठनीय और संग्रहणीय है. सजिल्द 600 रूपये मूल्य है और पेपरबैक 350 रूपये. लोकभारती ने इस पुस्तक का आवरण भी सुंदर डिजायन किया है. पुस्तक में कुल 191 पृष्ठ हैं एवं फ्लैप महाश्वेता देवी का है.प्रोफ़ेसर भदौरिया इलाहाबाद विश्व विद्यालय के स्नातक एवं परास्नातक,एम. फिल.एवं पी. एच. डी. जवाहलाल नेहरू विश्व विद्यालय से किए हैं.अंतर्राष्ट्रीय महात्मा गाँधी हिन्दी विश्व विद्यालय वर्धा के निदेशक पद पर रहते हुए इनके द्वारा साहित्यिक कार्यक्रमों को ऊँचाई प्रदान की गयी.प्रोफ़ेसर भदौरिया जी को उनकी इस नवीनतम कृति के लिए बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनायें.

महान लेखिका महाश्वेता देवी के शब्दों में --=-

"पेशे से प्राध्यापक संतोष भदौरिया ने ब्रिटिश काल के मिडिया पर बेहद महत्वपूर्ण अनुशीलन प्रस्तुत किया है. उनकी किताब पढ़ते हुए आज के पाठक जान सकेंगे कि पराधीन भारत में किस तरह शब्दों पर पहरे बिठा दिए जाते थे. किस तरह पत्रिकाओं को प्रतिबंधित किया जाता था और प्रतिबंधों के बावजूद किस तरह तत्कालीन पत्रकारों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ़ संघर्ष को आगे बढ़ाया और स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सेदारी के लिए आम जनता को प्रेरित किया.

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संतोष पत्रकारिता के इतिहास के अन्यतम अध्येता और विशेषज्ञ हैं. वे विचारों से प्रगतिशील हैं. उनके साहित्य में सुसंगत इतिहास बोध और इतिहास दृष्टि है. इसी कारण वे मूल्यवान इतिहास रच सके हैं और पाठकों को भी वे अतीत में उतरने का मौका देते हैं.

महाश्वेता देवी 

पुस्तक के फ्लैप से 


पुस्तक का नाम -अंग्रेजी राज एवं हिन्दी की प्रतिबंधित पत्रकारिता 

प्रकाशक -लोकभारती प्रकाशन 

पेपरबैक मूल्य 350 रूपये 

पुस्तक का बैक कवर फ्लैप 


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