चित्र साभार गूगल |
भौँरे, तितलियाँ, फूल बहारों के साथ थे
सड़कों पे चंद लोग ही नारों के साथ थे
नदियों में पाप धोके सभी घर चले गए
सारे कटाव दर्द किनारों के साथ थे
मिट्टी के वर्तनों में कालाओं के फूल थे
जब तक ये चाक धागे कुम्हारों के साथ थे
जंगल की आग देखके रस्ते बदल लिए
ये आदमी हसीन नज़ारों के साथ थे
सूरज की रोशनी में परिंदे तमाम थे
लेकिन चकोर चाँद सितारों के साथ थे
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें