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चित्र साभार गूगल |
भौँरे, तितलियाँ, फूल बहारों के साथ थे
सड़कों पे चंद लोग ही नारों के साथ थे
नदियों में पाप धोके सभी घर चले गए
सारे कटाव दर्द किनारों के साथ थे
मिट्टी के वर्तनों में कालाओं के फूल थे
जब तक ये चाक धागे कुम्हारों के साथ थे
जंगल की आग देखके रस्ते बदल लिए
ये आदमी हसीन नज़ारों के साथ थे
सूरज की रोशनी में परिंदे तमाम थे
लेकिन चकोर चाँद सितारों के साथ थे
कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
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चित्र साभार गूगल |
वाह ! बेहतरीन शायरी
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 1 जनवरी 2025 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 1 जनवरी 2025 को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
नववर्ष मंगलमय हो |
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार
हटाएंवाह! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन
हटाएंवाह! लाजवाब।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष 2025 का तेजस्वी सूर्य आपके और आपके समस्त परिजनों के लिये अनंत प्रकाश में स्वर्णिम कल्पनाओं की सम्यक् सम्पूर्ति, उत्तम स्वास्थ्य एवं सम्पन्नता लाए, इन्हीं मंगलकामनाओं के साथ आप सभी को अंग्रेजी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉
आपका हृदय से आभार. सादर अभिवादन
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