चित्र -साभार गूगल |
एक गीत -महलों की पीड़ा मत सहना
महलों की
पीड़ा मत सहना
आश्रम में रह जाना |
अब शकुंतला
दुष्यंतों के
झांसे में मत आना |
इच्छाओं के
इन्द्रधनुष में
अनगिन रंग तुम भरना ,
कोपग्रस्त
ऋषियों के
शापों से किंचित मत डरना ,
कभी नहीं
अब गीत रुदन के
वन प्रान्तर में गाना |
अबला नारी
एक मिथक है
इसी मिथक को तोड़ो ,
अपनी शर्तों पर
समाज से
रिश्ता -नाता जोड़ो ,
रिश्तों का
आधार अंगूठी
हरगिज नहीं बनाना |
आधार अंगूठी
हरगिज नहीं बनाना |
प्रेम वही
जो दंश न देता
यह गोकुल ,बरसाने ,
इसे राजवैभव
के मद में
डूबा क्या पहचाने ,
एक नया
शाकुंतल लिखने
कालिदास फिर आना |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
कवि -जयकृष्ण राय तुषार
चित्र -साभार गूगल
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