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सोमवार, 28 मार्च 2022

शनिवार, 26 मार्च 2022

मेड़ों पर वसन्त

 

AAG श्री मनीष गोयल हाईकोर्ट इलाहाबाद

शुक्रवार, 25 मार्च 2022

किताब-मेड़ों पर वसन्त

 

श्री राधाकान्त ओझा
अध्यक्ष H.C.B.A
को पुस्तक भेंट करते हुए

फ़ादर पी0 विक्टर को पुस्तक भेंट करते हुए

फ़ादर पी0 विक्टर को पुस्तक भेंट करते हुए

 

फ़ादर पी0 विक्टर से सम्मानित होते हुए


मेड़ों पर वसन्त-

 

उ0प्र0 हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष
डॉ0 सदनंदप्रसाद गुप्त को मेड़ों पर वसन्त
भेंट करते हुए


शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

एक ग़ज़ल-सब ख़्वाब लिए बैठे यहाँ पाँच सितारा

 

चित्र साभार गूगल



एक ग़ज़ल-
कुछ रोज़ रहेगा ये तिलस्मी है नज़ारा

हर रंग के बैनर यहाँ हर रंग का नारा
कुछ रोज़ रहेगा ये तिलस्मी है नज़ारा

मझधार में कश्ती को बदलने लगे माँझी
ईमान न डूबे उसे मिल जाय किनारा

क्या राष्ट्र का गौरव यही,आज़ादी यही है
बस जाति औ मज़हब का सियासत को सहारा

जनता भी कटोरा लिए मुँह बाये खड़ी है
भर जाए बिना कर्म किये पेट हमारा

हर घर में उदासी है हरेक घर में बग़ावत
सब ख़्वाब लिए बैठे यहाँ पांच सितारा

कौरव भी हैं पांडव भी हैं श्रीकृष्ण,विदुर भी
मैदान ये कुरुक्षेत्र न बन जाए दुबारा

बस पूजो हिमालय,ये तिरंगा, यही गंगा
दुनिया का मुकुट बन के रहे मुल्क हमारा

कवि/शायर जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल



गुरुवार, 20 जनवरी 2022

स्थापना दिवस समारोह-उ0 प्रदेश हिंदी संस्थान

हिंदी संस्थान स्थापना दिवस पर काव्य पाठ करते हुए

 

कार्यकारी अध्यक्ष प्रो0 सदानंदप्रसादगुप्त जी द्वारा
 अंगवस्त्रम से सम्मानित होते हुए


रविवार, 9 जनवरी 2022

गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत

 

माननीय मुख्य न्यायधीश जम्मू कश्मीर और लद्दाख
श्री पंकज मित्तल जी को पुस्तक भेंट करते हुए


सोमवार, 27 दिसंबर 2021

महान विद्वान संत स्वामी जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य श्री रामनरेशाचार्य जी , काशी और माँ गंगा के पुण्य घाट

 

जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य श्री रामनरेशाचार्य जी

स्वामी जी को गीत संग्रह भेंट करते हुए


मेरी धर्मपत्नी मंजुला राय और मैं

नौका विहार


सोमवार, 20 दिसंबर 2021

गीत संग्रह-मेड़ों पर वसन्त

 

श्री विभोर अग्रवाल
प्रकाशक साहित्य भंडार ,प्रयागराज
मेरे गीत संग्रह के प्रकाशक
ऊपर चित्र में साहित्य भंडार के संस्थापक स्मृतिशेष सतीश चंद्र अग्रवाल जी ।साहित्य के पचास वर्ष पचास पुस्तकें छापकर चर्चित हुए थे हालाँकि पुस्तके 200 पार कर गयीं थी लेकिन मूल्य पचास ही है।नमन ऐसे महान प्रकाशक को।
श्री प्रताप गोपेन्द्र जी I.P.S,श्री गोपाल जी पांडे
संतोष तिवारी और मैं


आदरणीय भाई डॉ0 आनंद शंकर सिंह
प्राचार्य 

भाई यश,आलोक श्रीवास्तव एवं अन्य मित्रगण