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शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

एक ग़ज़ल-सब ख़्वाब लिए बैठे यहाँ पाँच सितारा

 

चित्र साभार गूगल



एक ग़ज़ल-
कुछ रोज़ रहेगा ये तिलस्मी है नज़ारा

हर रंग के बैनर यहाँ हर रंग का नारा
कुछ रोज़ रहेगा ये तिलस्मी है नज़ारा

मझधार में कश्ती को बदलने लगे माँझी
ईमान न डूबे उसे मिल जाय किनारा

क्या राष्ट्र का गौरव यही,आज़ादी यही है
बस जाति औ मज़हब का सियासत को सहारा

जनता भी कटोरा लिए मुँह बाये खड़ी है
भर जाए बिना कर्म किये पेट हमारा

हर घर में उदासी है हरेक घर में बग़ावत
सब ख़्वाब लिए बैठे यहाँ पांच सितारा

कौरव भी हैं पांडव भी हैं श्रीकृष्ण,विदुर भी
मैदान ये कुरुक्षेत्र न बन जाए दुबारा

बस पूजो हिमालय,ये तिरंगा, यही गंगा
दुनिया का मुकुट बन के रहे मुल्क हमारा

कवि/शायर जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल



गुरुवार, 20 जनवरी 2022

स्थापना दिवस समारोह-उ0 प्रदेश हिंदी संस्थान

हिंदी संस्थान स्थापना दिवस पर काव्य पाठ करते हुए

 

कार्यकारी अध्यक्ष प्रो0 सदानंदप्रसादगुप्त जी द्वारा
 अंगवस्त्रम से सम्मानित होते हुए


रविवार, 9 जनवरी 2022

गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत

 

माननीय मुख्य न्यायधीश जम्मू कश्मीर और लद्दाख
श्री पंकज मित्तल जी को पुस्तक भेंट करते हुए


सोमवार, 27 दिसंबर 2021

महान विद्वान संत स्वामी जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य श्री रामनरेशाचार्य जी , काशी और माँ गंगा के पुण्य घाट

 

जगद्गुरु स्वामी रामानंदाचार्य श्री रामनरेशाचार्य जी

स्वामी जी को गीत संग्रह भेंट करते हुए


मेरी धर्मपत्नी मंजुला राय और मैं

नौका विहार


सोमवार, 20 दिसंबर 2021

गीत संग्रह-मेड़ों पर वसन्त

 

श्री विभोर अग्रवाल
प्रकाशक साहित्य भंडार ,प्रयागराज
मेरे गीत संग्रह के प्रकाशक
ऊपर चित्र में साहित्य भंडार के संस्थापक स्मृतिशेष सतीश चंद्र अग्रवाल जी ।साहित्य के पचास वर्ष पचास पुस्तकें छापकर चर्चित हुए थे हालाँकि पुस्तके 200 पार कर गयीं थी लेकिन मूल्य पचास ही है।नमन ऐसे महान प्रकाशक को।
श्री प्रताप गोपेन्द्र जी I.P.S,श्री गोपाल जी पांडे
संतोष तिवारी और मैं


आदरणीय भाई डॉ0 आनंद शंकर सिंह
प्राचार्य 

भाई यश,आलोक श्रीवास्तव एवं अन्य मित्रगण





सोमवार, 6 दिसंबर 2021

मेरा सद्यः प्रकाशित गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत

 

श्री अशोक मेहता पूर्व
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल


डॉ0 उदय प्रताप सिंह 
अध्यक्ष हिन्दुस्तानी अकादमी
डॉ0 उदय प्रताप सिंह अध्यक्ष हिन्दुस्तानी अकादमी



डॉ0 अरविंद कुमार शर्मा 
उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी


प्रयाग की सुप्रसिद्ध गायिका और जगततारन
डिग्री कालेज की संगीत अध्यापिका डॉ0
अंकिता चतुर्वेदी मालवीय


भाई यश मालवीय,आलोक श्रीवास्तव औऱ मैं


डॉ0  अंकिता चतुर्वेदी मालवीय


वरिष्ठ साहित्यकार डॉ0 कन्हैया सिंह पूर्व अध्यक्ष भाषा संस्थान
एवं डॉ0 सुजीत कुमार सिंह जी असिस्टेंट प्रोफेसर हिंदी विभाग
इलाहाबाद विश्वविद्यालय


बाएं श्री अरुण कुमार त्रिपाठी,बीच में आदरणीय प्रोफ़ेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी जी पूर्व कुलपति काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
एवं अध्यक्ष उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा परिषद,लखनऊ,और मैं

मेरा नया गीत संग्रह-मेड़ों पर वसंत

माननीय डॉ0 अरविंद कुमार शर्मा जी

मेड़ों पर वसंत



 

माननीय उपाध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी एवं
पूर्व IAS डॉ0 अरविंद कुमार शर्मा जी




 



प्रो0 ईश्वर शरण विश्वकर्मा जी

 

 

श्री अमरनाथ उपाध्याय जी
I.A.S





श्री देव प्रकाश चौधरी जी

श्रीमती वंदना त्रिपाठी जी I.A.S
सचिव उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग



श्री कमल कृष्ण राय एडवोकेट



 
श्रीमती पायल सिंह 
वित्त एवं लेखाधिकारी



प्रोफ़ेसर राजेन्द्र कुमार
कवि एवं आलोचक

गीतकवि भाई यश मालवीय

श्री शशि प्रकाश सिंह
A.S.G.भारत सरकार

श्री बद्रीप्रसाद सिंह
पूर्व पुलिस महानिरीक्षक


मंगलवार, 12 अक्टूबर 2021

एक गीत -यह पुण्य देवभूमि है | राज्यगीत

  

 

काशी



यह पुण्य देवभूमि है

यह पुण्य देवभूमि है
यहाँ न कोई क्लेश है ।
ध्वज लिए विकास का
यह अग्रणी प्रदेश है
यह उत्तर प्रदेश है, यह उत्तर प्रदेश है ।

सुबहे काशी है यहीं
यहीं अवध की शाम है,
यह संत,ऋषि,विचारकों
औ ज्ञानियों का धाम है,
कला,कौशल विकास
हेतु पूँजी का निवेश है।
यह उत्तर प्रदेश है ,यह उत्तर प्रदेश है।

गंगा,जमुना,सरयू
पुण्य नदियों का प्रवाह है,
अनेकता में एकता का
प्रेम से निबाह है,
सारनाथ,कुशीनगर
बुद्ध का उपदेश है,
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

काशी ,मथुरा,वृंदावन
गुरु गोरख यहीं मिले,
राम की अयोध्या में
अखण्ड दीप लौ जले,
परम्परा, नवीनता का
इसमें समावेश है ।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

चौरी-चौरा,झाँसी, मेरठ की
जमीन लाल है,
तीर्थ ये शहीदों का
ये क्रांति की मशाल है,
गौ माता का रक्षक है
ये किसानों का सुदेस है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

चित्रकूट,श्रृंगवेरपुर
यहीं प्रयाग है,
विश्व पर्व कुम्भ 
इसमें धूनियों की आग है,
शिक्षा,ज्ञान,योग औ
अध्यात्म में विशेष है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

रक्षक है सर्वधर्म की
माँ भारती महान है,
तुलसी के संग कबीर
औ रविदास जी का मान है,
माँ विन्ध्वासिनी की
दिव्य शक्ति भी अशेष है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

स्वदेश के लिए यहाँ
बलिदान एक पर्व है,
झलकारी बाई,झाँसी
की रानी पर इसको गर्व है,
यह मंगल पांडे,बिस्मिल
और आज़ाद का प्रदेश है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

यह विश्व राजनीति का
महान एक केंद्र है,
यहाँ का वीर सरहदों पे
बज्र ले महेंद्र है,
विभिन्न भाषा,बोलियाँ
विभिन्न भूषा-वेश है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

बिरहा, कजरी ,आल्हा
इसके मौसमों का गीत है,
धान-पान धानी-हरे
गेहूँ स्वर्ण-पीत है,
झील-ताल खिलते कमल
खुशबुओं का देश है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

राज्य का प्रतीक चिन्ह
मत्स्य और तीर है,
वृक्ष है अशोक, पुष्प
टेसू ज्यों अबीर है,
स्त्रियों के मान और
सम्मान का आदेश है।
यह उत्तर प्रदेश है,यह उत्तर प्रदेश है।

कवि जयकृष्ण राय तुषार




कवि-जयकृष्ण राय तुषार


एक ग़ज़ल-फ़साना ग़ज़ल में था

 


चित्र साभार गूगल


एक ग़ज़ल-फ़साना ग़ज़ल में था


तन्हाइयों में क़ैद था आँसू भी जल में था

ग़म भी तमाम रंग में खिलते कमल में था


महफ़िल में सबके दिल को कोई शेर छू गया

शायर का इश्क,ग़म का फ़साना ग़ज़ल में था 


घर के दिए हवा की शरारत से बुझ गए

जलता रहा वो शौक से गंगा के जल में था


राजा के साथ कीमती परदे बदल गए

दरबार में पुराना रवैया अमल में था


बासी हवा के साथ धुँआ रास्तों में था

कहने को मौसमों का नज़ारा बदल में था


महफ़िल में उसके नाम क़सीदे पढ़े गए

जिसका रदीफ़,काफ़िया, मतला हज़ल में था


भूखे थे आसमां में परिन्दे उदास थे

दाने जहाँ-जहाँ थे बिजूखा फसल में था


जब भी चुनाव आया ग़रीबों में वो दिखा

वैसे तो उसका ठौर-ठिकाना महल में था

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल

शुक्रवार, 21 मई 2021

एक गीत -मेड़ों पर वसन्त

 

चित्र -साभार गूगल 
एक गीत -मेड़ों पर वसन्त 
लोकरंग 
में वंशी लेकर 
गीत सुनाता है |
मेड़ों पर 
वसन्त का 
मौसम स्वप्न सजाता है |

सुबह -सुबह
उठकर आँखों 
का काजल मलता  है ,
संध्याओं को 
जुगनू बनकर 
घर -घर जलता है ,
नदियों के 
जूड़े -तितली 
के पंख सजाता है |

हल्दी के 
छापे -कोहबर
में रंग इसी का है ,,
कोई भी 
हो फूल 
फूल में रंग इसी का है ,
आँखों की 
भाषा पढ़ने का 
हुनर सिखाता है |

पीला कुर्ता 
पहने सूरज 
डूबे झीलों में ,
यादों की 
खुशबू फैली है 
कोसों -मीलों में ,
यह जीवन 
का सबसे  
अच्छा राग सुनाता है |

कवि -जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र -साभार गूगल