चित्र साभार गूगल |
एक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर
इस चिड़िया के
उड़ जाने पर
जंगल कुछ दिन मौन रहेगा.
धूप -छाँह, बारिश
मौसम के
इतने किस्से कौन कहेगा.
दरपन -दरपन
चोंच मारती
ढके हुए परदे उघारकर,
सूर्योदय से
प्रमुदित होकर
हमें जगाती है पुकारकर,
धूल भरी आँधी में
टहनी टहनी
उड़कर कौन दहेगा.
इसी नदी में
हँसकर -धंसकर
हमने उसे नहाते देखा,
आँख मूँदकर
मंत्र बोलकर
घी का दिया जलाते देखा,
खुले हुए
जूड़े से गिरकर कब
तक जल में फूल बहेगा.
हिरण भागते
मोर नाचते
वन का है चलचित्र सुहाना,
पथिकों से मत
मोह लगाना
जीवन यात्रा आना -जाना,
प्यार तुम्हारे
हिस्से में था
बिछुड़न प्यारे कौन सहेगा.
कवि गीतकार
धूल भरी आँधी में
जवाब देंहटाएंटहनी टहनी
उड़कर कौन दहेगा.
वाह ! अति सुंदर भावपूर्ण रचना
हार्दिक आभार. सादर अभिवादन
हटाएंवाह! बहुत सुंदर रचना है। आपके गीतों से हमेशा सीखने को मिलता है।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार. स्नेह बनाये रखियेगा
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