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शनिवार, 30 अप्रैल 2022

एक देशगान -उठो अब मेरे हिंदुस्तान

 

चारो वेद

आज़ादी के अमृत महोत्सव पर 

एक देशगान


उठो अब मेरे हिंदुस्तान

तुम्हारे गौरव पर अभिमान

यहां ऋषियों का अनुसन्धान

सुनो वेदों का अमृत गान।


व्याकरण का पाणिनि को श्रेय

यहाँ दूर्वासा,दत्तात्रेय 

बज्र, कोदण्ड और ब्रह्मास्त्र

यहाँ पर शस्त्र और हैँ शास्त्र

यहीं पर रघुकुल कीर्ति महान।


यहाँ अध्यात्म का है आलोक

कला,संगीत, नृत्य का लोक

यहीं है गन्धर्वों का देश

बुद्ध का ज्ञान और उपदेश

यहाँ मानस, गीता औ पुरान ।


यहाँ पृथ्वी,रणजीत महान

शिवाजी का है गौरव गान

बहादुर पल्लव, चोल,नरेश 

यहाँ पोरस की कीर्ति अशेष

सिकंदर का टूटा अभिमान ।


यहीं पर विक्रम और बेताल

महाराणा मुगलों के काल

यहाँ चाणक्य की सुंदर नीति

राष्ट्र से अद्भुत उनकी प्रीति

बढ़ाये मौर्य वंश की शान ।


पढ़ो सावरकर का इतिहास

यहीं पर बिस्मिल और सुभाष

कुँवर सिंह,मंगल की जय बोल

भगत सिंह अपनी ऑंखें खोल

यहीं मनुबाई का बलिदान ।


यहाँ हर मौसम दे आदित्य 

हिमालय,गंगा का लालित्य

पठारों पर गूंजे संगीत

यहाँ नर,वानर भी हैँ मीत

राम के भक्त नील,हनुमान ।



यहाँ चंदन,केसर,कश्मीर

गुरु गोरख औ गोगा पीर

यहाँ बालाजी,काशी धाम

मोक्ष है वृन्दावन का नाम

जहाँ मुरली की मोहक तान।


जयकृष्ण राय तुषार

चित्र सभार गूगल


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