शुक्रवार, 12 मार्च 2021

एक गीत-इस पठार पर फूलों वाला मौसम लाऊँगा

 

चित्र साभार गूगल

 

एक गीत-

इस पठार पर

फूलों वाला

मौसम लाऊँगा ।

मैं अगीत के

साथ नहीं हूँ

गीत सुनाऊँगा ।


तुलसी की

चौपाई

मीरा के पद पढ़ता हूँ,

आम आदमी

की मूरत

कविता में गढ़ता हूँ,

ताज़ा

उपमानों से

अपने छन्द सजाऊँगा ।


एक उबासी

गंध हवा में

दिन भर बहती है,

क़िस्सागोई से

हर संध्या

वंचित रहती है,

नदी

ढूँढकर मैं

हिरनी की प्यास बुझाऊँगा ।


मौन लोक में

लोकरंग का

स्वर फिर उभरेगा,

ठुमरी भूला

मगर

कभी तो मौसम सुधरेगा,

मैं गोकुल

बरसाने 

जाकर वंशी लाऊँगा ।



कवि जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


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