गुरुवार, 11 मार्च 2021

एक गीत-सारंगी जोगी मत छोड़ना

 


एक गीत-सारंगी जोगी मत छोड़ना


सारंगी

जोगी मत छोड़ना ।

अच्छे पथ पर

सबको मोड़ना ।


जीवन के तार

जहाँ ढीले हों

दुःख से जब नयन

कभी गीले हों

तार सभी कसकर

के बाँधना

गोरखवाणी

मन को साधना

सुर की यह वंशी

मत तोड़ना  ।


माटी की देह

देह नश्वर है

गीता का श्लोक

मन्त्र ईश्वर है

माया की कैद में

मछन्दर है

तिरिया के देश

महल अन्दर है

गुरु के टूटे 

मनके जोड़ना ।

जयकृष्ण राय तुषार



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