शनिवार, 13 मार्च 2021

एक गीत-बासमती के धान हरे हैं

 

चित्र साभार गूगल


एक गीत-बासमती के धान हरे हैं


नहरों,नदियों

तालों वाले

बासमती के धान हरे हैं ।

जो मेघों की

छाया में थे

उनके पत्ते फूल झरे हैं ।


बौछारों से

पेड़ भींगते

देहरी पर गौरैया बोले,

देवदास का

मन उदास है

खिड़की बन्द न पारो खोले,

बेला, गुड़हल

चम्पा महके

पर कनेर पर ज़हर फरे हैं ।


चाक कुम्हारों के

चुप बैठे

 धागा टूटा मिट्टी गीली,

झील किनारे

सोई हिरनी

हिरन देखता आँख नशीली,

बाघों की

आहट से

सारे पशु पक्षी वाचाल डरे हैं

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल


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