सोमवार, 11 नवंबर 2024

एक ग़ज़ल -चिड़िया कभी गाती नहीं

 

चित्र साभार गूगल 

चित्र साभार गूगल 

एक ग़ज़ल -बाज़ से डरती अगर चिड़िया 


सीखने संगीत विद्यालय कभी जाती नहीं 
बाज़ से डरती अगर चिड़िया कभी गाती नहीं 

तितलियाँ लिपटी हुईं फूलों से दिन में बेख़बर 
ये मुहब्बत भी तवायफ़ सी है शरमाती नहीं 

नौकरी कुछ इश्क कुछ टैबलेट,बदलते फोन में 
व्यस्त पीढ़ी अब गलत सिस्टम से टकराती नहीं 

मंद तारों की चमक में चाँद का सौंदर्य है 
चाँदनी को सूर्य की सोहबत कभी भाती नहीं 

घर में काजल पारती हैं अब नई माएं कहाँ 
घी में डूबी इन चरागों में कोई बाती नहीं 

कवि -शायर 
जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 


3 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर और कोमल अहसास से भीगी ग़ज़ल

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 नवंबर को साझा की गयी है....... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।

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