चित्र साभार गूगल |
एक ग़ज़ल -हर खिड़की में धूप -चाँदनी
शाम को दादी किस्से कई सुनाती है
बच्चों को भी सोनपरी ही भाती है
अपनी -अपनी नज़रों से सब देख रहे
हर खिड़की में धूप -चाँदनी आती है
किसी घाट पर फूल चढ़ाओ पुण्य वही
गंगा काशी से ही पटना जाती है
गुरुद्वारा, गिरिजाघर, और शिवाले में
एक ज्योति है, एक दिए की बाती है
तितली का फूलों से केवल रिश्ता है
चिड़िया तो हर मौसम गाना गाती है
यात्री को सच राह बताने वाला हो
पगडंडी भी मंज़िल तक पहुँचाती है
खतरा तो खतरा है चाहे छोटा हो
बीड़ी भी जंगल में आग लगाती है
कवि जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल |
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