चित्र -साभार गूगल |
लोकरंग
में वंशी लेकर
गीत सुनाता है |
मेड़ों पर
वसन्त का
मौसम स्वप्न सजाता है |
सुबह -सुबह
उठकर आँखों
का काजल मलता है ,
संध्याओं को
जुगनू बनकर
घर -घर जलता है ,
नदियों के
जूड़े -तितली
के पंख सजाता है |
हल्दी के
छापे -कोहबर
में रंग इसी का है ,,
कोई भी
हो फूल
फूल में रंग इसी का है ,
आँखों की
भाषा पढ़ने का
हुनर सिखाता है |
पीला कुर्ता
पहने सूरज
डूबे झीलों में ,
यादों की
खुशबू फैली है
कोसों -मीलों में ,
यह जीवन
का सबसे
अच्छा राग सुनाता है |
कवि -जयकृष्ण राय तुषार