गुरुवार, 14 जुलाई 2022

एक गीत -तैरती जलज्योति

निराला 

बैसवारे की मिट्टी में विख्यात कवि लेखक संपादक हुए हैं जिनमें निराला, रामविलास शर्मा, रसखान, नूर, मुल्ला दाऊद रमई काका, शिव मंगल सिंह सुमन, शिव बहादुर सिंह भदौरिया, रूप नारायण पांडे माधुरी के संपादक आदि. इसी मिट्टी को समर्पित एक गीत 


एक गीत -शुभ्र दीपक ज्योति यह गंगा किनारे की

तैरती 
जल ज्योति
यह गंगा किनारे की.
कीर्ति
सदियों तक
रहेगी बैसवारे की.

जायसी
दाऊद यहाँ
रसखान का ग्वाला,
नूर का है
नूर इसमें
शब्द की ज्वाला,
भूमि यह
शर्मा, सनेही
और दुलारे की.

शिव बहादुर
सिंह की
पुरवा बह रही इसमें,
शब्द साधक
सुमन शिव मंगल
रहे जिसमें,
स्वर्ण, चन्दन
हलद इसमें
चमक पारे की.

यह द्विवेदी
भगवती की
यज्ञशाला है,
यहीं जन्मा
एक फक्कड़
कवि निराला है.
माधुरी
माधुर्य लाई
चाँद तारे की.

वाजपेई
सुकवि रमई
और चित्रा हैं,
बैसवारी
अवस्थी
इसमें सुमित्रा हैं,
डलमऊ की
स्वप्न छवि 
सुन्दर नज़ारे की.

आज भी
यह एक चन्दन
वन कथाओं का
एक अनहद
नाद इसमें
है ऋचाओं का,
शब्द जल में
चाँदनी की
छवि शिकारे की.

कवि -जयकृष्ण राय तुषार
रसखान 



2 टिप्‍पणियां: