शनिवार, 23 अप्रैल 2022

एक ग़ज़ल-उतरा जमीं पे चाँद तो बरसात हो गयी

 

चित्र साभार गूगल
एक ग़ज़ल -
उतरा ज़मीं पे चाँद तो बरसात हो गयी 

उतरा जमीं पे चाँद तो बरसात हो गयी

बादल की दौड़-धूप से फिर रात हो गयी


तस्वीर जिसकी देख के मैंने ग़ज़ल कही

महफ़िल में आज उससे मुलाकात हो गयी


दरिया किनारे बैठ के चुपचाप थे सभी

कश्ती में बैठते ही चलो बात हो गयी


सूरज की रौशनी तो बस शफ्फाक थी मगर

आयी धनक तो रंग लिए सात हो गयी

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल



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